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लेखनी कहानी -28-Mar-2023-कविता सागर

प्रिया सुख उच्छ्वास कपिल सुप्त मदन...

 

प्रिया सुख उच्छ्वास कपिल सुप्त मदन जगा रहे है

 

गीत तन्त्री से उलझ कर गूंज कर पुलका रहे हैं.

 

शान्त स्तब्ध निशीथ में सुरभित मनोहर हर्म्यतल में

 

गीत गतिलय में विसुध कामी पिपासा में विकल है,

 

गूँजती झंकार पर मनुहार स्वर रह-रह कर कँपाया,

 

प्रिये ! आया ग्रीष्म खरतर !

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